नींद में बोलना एक नुकसानदायक और असामान्य व्यवहार है। 3 से 10 साल की उम्र के बच्चों में यह सामान्य माना जाता है पर इसे कई बार वयस्कों में भी देखा गया है। नींद में बोलने की आदत को सपनों से जोड़ कर देखा जाता है जो पुरुष व महिलाओं दोनों में ही देखा जा सकता है। इसके अलावा मानसिक असंतुलन, भावनात्मक दबाव, कुछ दवाओं का प्रभाव, साथियों के द्वारा किया गाय अभद्र व्यवहार और बुखार के दौरान मूर्छा या अचेतना की वजह से भी नींद में बोलने की बीमारी को देखा जा सकता है। इसके अलावा नींद से जुड़ी अन्य बिमारियाँ जैसे नींद में भय, नींद में चलना या खाने की वजह से नींद सी जुड़ी कुछ अन्य समस्याएँ भी इसके लिए जिम्मेदार होती हैं। यह असामान्य व्यवहार इससे पीड़ित व्यक्ति को चिल्लाने, रोने या किसी प्रकार की हिंसा आदि के लिए प्रोत्साहित करता है।
आप कभी न कभी ऐसे लोगों के संपर्क में ज़रूर आए होंगे जो नींद में बात करते हैं और इस घटना को प्रायः भूल भी जाते हैं। नींद में बोलने की इस अवस्था से वे बिल्कुल अनजान होते हैं और सुबह उठने के बाद यह बात उन्हें याद नहीं रहती। कुछ लोग यह समझते हैं कि, यह हरकत वे अपने पागलपन की वजह से कर रहें हैं पर सच बात तो यह है कि, ऐसे लोग एक बिमारी या समस्या से पीड़ित होते हैं। अगर आप किसी व्यक्ति को नींद में अकेले बात करते हुये पाएँ तो आपको इस बात को गहराई से समझने की कोशिश करनी चाहिए कि, किस स्थिति या कितने समय अंतराल में यह समस्या उसके साथ हो रही है। ऐसा कभी कभी हो रहा है या रोज उसे नींद में बोलने की यह आदत है। अगर यह कभी कभी ही होता है तो चिंता की कोई ज़रूरत नहीं क्योंकि नींद में बोलने की यह आदत किसी प्रकार की छंटा या थकान की वजह से हो सकती है। लेकिन अगर यह आदत नियमित हो तो इसका उपचार ज़रूरी है। बच्चों या वयस्क में इसे पहचान कर जल्दी ही इसके बेहतर उपचार की कोशिश की जानी चाहिए।
नींद में बोलना एक असामान्य लक्षण है। क्या आपने कभी किसी को नींद में बात करते हुये पाया है? अगर आपने ऐसा देखा भी होगा तो आपके मन में पहला विचार आया होगा कि शायद यह व्यक्ति सपने में बात कर रहा है। इसे कई लोग सपनों से जोड़ कर भी देखते हैं पर यह पूरी तरह सच नहीं है। नींद की अवस्था में बात करते समय कोई भी व्यक्ति भटकाव कि स्थिति में बात करता है यहाँ तक कि उस दौरान उसका जागृत मन या दिमाग भी सोया हुआ होता है। नींद में बोलने का यह विस्तार प्रत्येक व्यक्ति पर अलग अलग तरह से निर्भर करता है, कोई हर बार कुछ शब्द रटता रहता है तो कुछ लोग नींद में पूरी बातचीत करते हैं पर इस समस्या पर रोक लगाने की ज़रूरत है जिसे रोकने के लिए कुछ उपायों का प्रयोग करना आवश्यक होता है।
नींद में बोलने की आदत को रोकने के घरेलू उपाय हिन्दी में (Ways of stopping the condition)
अगर नींद में बोलने की आदत से पीड़ित व्यक्ति और साथ ही नजदीकी लोगों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती तो यह ठीक है लेकिन अगर इसकी वजह से वह व्यक्ति स्वयं और आस पास के लोग भी प्रभावित होते हैं तो इसका इलाज करना वाकई बहुत ज़रूरी है। आप इसके उपचार के लिए निद्रारोग विशेषज्ञ के पास जाकर उनकी सलाह ले सकते हैं। अगर आप माता या पिता हैं और आपके बच्चे को इस तरह की परेशानी है तो आपका चिंतित होना भी सामान्य है।
कई बार नींद में बिलने की यह आदत केवल बोलने तक ही नहीं रहती बल्कि बोलने के साथ पीड़ित व्यक्ति, धक्का देना, मुक्के या घूंसे मारने जैसी हरकतें भी करता है। यह नींद से जुड़ी बीमारी का एक लक्षण है जिसका तुरंत उपचार ज़रूरी है। यहाँ इस आलेख में हम नींद में बोलने की आदत को रोकने के लिए कुछ प्राकृतिक उपचारों को बताने जा रहे हैं। यह सभी उपाय घर में अपनाकर आप नींद में बोलने की आदत को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
नींद में बोलने की आदत को दूर करने के घरेलू उपाय (Home remedies for sleep talking)
नींद में बोलने की आदत या बीमारी के कुछ नुकसान नहीं हैं और किसी दूसरे को भी इसकी वजह से कोई दिक्कत नहीं होती तो डॉक्टर के पास जाकर इसका इलाज करना ज़रूरी नहीं होता। लेकिन अगर आप इस समस्या को घर पर खत्म करना चाहते हैं तो कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी नींद से जुड़ी इस आदत को कम किया जा सकता है।
- नींद में बोलने की आदत से बचने के लिए पर्याप्त आराम ज़रूरी होता है। इसके लिए आपकी नींद अच्छी तरह पूरी होनी चाहिए अगर हो सके तो आपको दिन के वक़्त भी बिना किसी व्यवधान के कुछ समय की नींद लेना चाहिए।
- अगर आप लगातार तनाव से गुजर रहें हैं तो आपको यह समस्या हो सकती है। इसके लिए अपने दिमाग को पर्याप्त आराम का मौका दें और खुद भी रिलैक्स करें। अगर ऑफिस के कामों से आप खुद को बहुत उलझा हुआ महसूस कर रहे हैं तो कुछ दिनों के लिए काम से छुट्टी ले लें। या कहीं घूमने जाएँ, इससे आपके दिमाग को भी काफी आराम मिलेगा। इससे आपका तनाव कम होता है।
- अगर आप अकेले हैं तो अपने किसी दोस्त या करीबी से मिलने जाएँ और उनसे बातें करें। अपनी बातें उनके साथ शेयर करें इससे आपके मन की बातें खुलकर बाहर आएंगी और आपका मन भी हल्का होगा तथा अप बेहतर महसूस करेंगे। इससे आपका अकेलापन भी दूर हो जाएगा।
- कई बार बहुत ज़्यादा कैफीन के सेवन से भी नींद में बोलने की समस्या होती है। इसके इलाज के लिए कैफीन की मात्रा कम करें। ज़्यादा चाय या कॉफी के सेवन से बचें।
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