गर्भावस्था के पहले दो सप्ताह में एक औरत के जीवन के सबसे रोमांचक पलों में शामिल होते है। गर्भावस्था के दूसरे सप्ताह से हार्मोन्सम में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है जिस वजह से गर्भावस्था के लक्षण नजर आने लगते है। मतली, चक्कर आना, थकान, स्तनों में परिवर्तन ऐसे लक्षण है जिनका सामना गर्भवती औरत गर्भधारण के पहले सप्ताह से करना शुरू कर देती है।
46 गुणसूत्रों में से दो सबसे महत्वपूर्ण एक्स गुणसूत्र और वाई गुणसूत्र बच्चे के लिंग का निर्धारण करते है इस बात से आज का हर जोड़ा वाकिफ है। हर अंडे एक एक्स गुणसूत्र है और हर शुक्राणु में या तो एक एक्स या वाई गुणसूत्र है। शुक्राणु के एक्स गुणसूत्र के साथ अंडा निषेचित हैं, तो लड़की होगी यदि यह एक वाई गुणसूत्र है, तो घर में लडकें का आगमन होता है। हफ्ते बाद तक गर्भ में पल रहे लिंग का पता नहीं चलता इस स्तर को भ्रूण कहा जाता है जो 150 कोशिकाओं से बना होता है जिसे तीन अलग-अलग परतों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक परत की जानकारी आपको नीचे दे रहे है।
पहली परत आंतरिक परत होती है जिसें एण्डोडर्म के रूप में जाना जाता है पाचन तंत्र,श्वसन तंत्र, अग्न्याशय, थायराइड, जिगर और थाइमस तरह ग्रंथियों इस परत में शामिल होती है।
दूसरी परत मध्यम परत होती है जिसें मीसोडर्म के रूप में जाना जाता है बच्चे की हड्डियां,लचीली हड्डी संचार प्रणाली, भीतरी परत त्वचा, मांसपेशियों, जननांग, मलोत्सर्ग निकालने वाली प्रणाली और बाहरी कवर इसमें शामिल होते है।
तीसरी परत बाहरी परत होती है एक्टोड़र्म या एक्टोब्लास्ट के रूप में जाना जाता है तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क और एपिडर्मिस बच्चे की त्वचा, नाखूनों और बाल इस परत में शामिल होते है।
गर्भवती महिला में इस समय जब परिवर्तन हो रहा होता है भ्रूण गर्भाशय के भीतर तैरता है इस समय बच्चा 0.1-0.2 मिमी लंबा होता है।
पहले दो सप्ताह के अंदर बॉडी में होने वाले परिवर्तन।
गर्भावस्था में आते है अगले नौ महीनों के लिए मासिक धर्म की अवधि को महिलाएं अलविदा कह देती है इसके अलावा, गर्भाशय अंतर्गर्भाशयकला उत्पादन होता है जो बच्चे को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है। गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में भ्रूण बन जाता है इसलिए पेट में ऐंठन, ज्याथदा पेशाब आने, बुखार, हाथ-पैरों में सूजन और सिर दर्द जैसी समस्याओं का समाना करना पड़ता है। शरीर में आयें इन परिवर्तनों और डॉक्टरी चेकअप के बाद यह कन्फर्म हो जाता है की महिला गर्भवती है।
गर्भावस्था के पहले दो सप्ताह का आहार कैसा हो :
प्रेगनेंसी के पहले दो सप्ताहों में गर्भपात होने का खतरा अधिक बना रहता है इसलिए स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में परिवर्तन कर गर्भवती औरत को अपना ध्यान अधिक रखना चाहिए।
46 गुणसूत्रों में से दो सबसे महत्वपूर्ण एक्स गुणसूत्र और वाई गुणसूत्र बच्चे के लिंग का निर्धारण करते है इस बात से आज का हर जोड़ा वाकिफ है। हर अंडे एक एक्स गुणसूत्र है और हर शुक्राणु में या तो एक एक्स या वाई गुणसूत्र है। शुक्राणु के एक्स गुणसूत्र के साथ अंडा निषेचित हैं, तो लड़की होगी यदि यह एक वाई गुणसूत्र है, तो घर में लडकें का आगमन होता है। हफ्ते बाद तक गर्भ में पल रहे लिंग का पता नहीं चलता इस स्तर को भ्रूण कहा जाता है जो 150 कोशिकाओं से बना होता है जिसे तीन अलग-अलग परतों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक परत की जानकारी आपको नीचे दे रहे है।
पहली परत आंतरिक परत होती है जिसें एण्डोडर्म के रूप में जाना जाता है पाचन तंत्र,श्वसन तंत्र, अग्न्याशय, थायराइड, जिगर और थाइमस तरह ग्रंथियों इस परत में शामिल होती है।
दूसरी परत मध्यम परत होती है जिसें मीसोडर्म के रूप में जाना जाता है बच्चे की हड्डियां,लचीली हड्डी संचार प्रणाली, भीतरी परत त्वचा, मांसपेशियों, जननांग, मलोत्सर्ग निकालने वाली प्रणाली और बाहरी कवर इसमें शामिल होते है।
तीसरी परत बाहरी परत होती है एक्टोड़र्म या एक्टोब्लास्ट के रूप में जाना जाता है तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क और एपिडर्मिस बच्चे की त्वचा, नाखूनों और बाल इस परत में शामिल होते है।
गर्भवती महिला में इस समय जब परिवर्तन हो रहा होता है भ्रूण गर्भाशय के भीतर तैरता है इस समय बच्चा 0.1-0.2 मिमी लंबा होता है।
पहले दो सप्ताह के अंदर बॉडी में होने वाले परिवर्तन।
गर्भावस्था में आते है अगले नौ महीनों के लिए मासिक धर्म की अवधि को महिलाएं अलविदा कह देती है इसके अलावा, गर्भाशय अंतर्गर्भाशयकला उत्पादन होता है जो बच्चे को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है। गर्भावस्था के दूसरे हफ्ते में भ्रूण बन जाता है इसलिए पेट में ऐंठन, ज्याथदा पेशाब आने, बुखार, हाथ-पैरों में सूजन और सिर दर्द जैसी समस्याओं का समाना करना पड़ता है। शरीर में आयें इन परिवर्तनों और डॉक्टरी चेकअप के बाद यह कन्फर्म हो जाता है की महिला गर्भवती है।
गर्भावस्था के पहले दो सप्ताह का आहार कैसा हो :
प्रेगनेंसी के पहले दो सप्ताहों में गर्भपात होने का खतरा अधिक बना रहता है इसलिए स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में परिवर्तन कर गर्भवती औरत को अपना ध्यान अधिक रखना चाहिए।
- बुरी आदतों और नकारात्मक सोच को स्वस्थ बच्चे को जन्म देने तक दूर करना प्रेगनेंसी महिला के पक्ष में है।
- सिगरेट, शराब, बियर वाइन जैसे स्मोकिंग और एल्कोहल जैसे पदार्थो का त्याग कर दें।
- अपने रूटीन आहर में विटामिन, साथ ही फोलिक एसिड की वृद्धि करते हुए लगभग 300 कैलोरी प्राप्त करने का प्रयास करें।
- ठंडा और कच्चा दूध से गर्भावस्था के इन दिनों में परहेज करें।
- ज्यादा दिनों से फ्रिज में सुरक्षित रखा भोज्य पदार्थ का ग्रहण ना करें। इसके अतिरिक्त अधिक ठंडा बासी या गर्म चीजों का सीधा सेवन ना करें।
- मौसमी फलों और सब्जियों के जूस की अधिक मात्रा भोजन में शामिल करें।
- चिकन मांस मछली बिना डॉक्टरी सलाह के ना लें।
- पूर्ण नींद और हल्के योग को अपनी प्रेगनेंसी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं।
उपरोक्त बातों का ध्यान रख कर गर्भावस्था के दौरान अपनी और बच्चे की सेहत की स्वस्थता को बनाए रखा जा सकता है।
0 comments:
Post a Comment