यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, पेशाब में पस सेल्स का आना इन्फेक्शन को दर्शाता है। यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण, पस या मवाद जो गाढे सफ़ेद या हल्का पीला या हल्का हरा रंग लिये होता है, अगर पेशाब से आने लगे तो इसका मतलब है आपके ऊपरी या निचले मूत्र मार्ग में इन्फेक्शन (peshab ki problem) है। बॉडी में पस सेल्स, मृत श्वेत रक्त कणिकाओं और अन्य मृत कोशिकाओं से बनती हैं।
अगर मूत्र के नमूने में अतिरिक्त मात्रा में पस की कोशिकाएं दिखती हैं तो इस स्थिति को प्युरिया (pyuria) के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसा चरण है जहां से आपको मूत्राशय, फेफड़ों और मूत्र निकासी के रास्ते की समस्याएं सता सकती हैं। यह स्थिति तब जन्म लेती है जब वहाँ पर काफी मात्रा में मृत सफ़ेद रक्त कोशिकाएं और बैक्टीरिया (bacteria) पाए जाते हैं। इससे कई तरह के संक्रमणों का जन्म होता है। अगर पस कोशिकाओं की गिनती 5 तक हो तो पुरुषों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। पर महिलाओं के लिए यह संख्या 10 होनी चाहिए। पस आमतौर पर एक गाढ़े द्रव्य का नाम होता है जो कि गोंद की तरह प्रतीत होता है। पस का रंग पीला, सफ़ेद और हरा रंग लिए हुए हो सकता है। इस समस्या के कुछ कारण होते हैं जैसे मूत्र निकासी के भाग का संक्रमण और यौन संचारित रोग आदि।
पेशाब के रोग – पस सेल्स के आने के कारण (Causes of pus cells in urine)
पेशाब में पस सेल्स के आने के दो मुख्य कारण हैं।
- मूत्रनली में इन्फेक्शन या यू.टी.आई. – महिलाओ का मूत्राशय छोटा होने के कारण महिलाओं में इसके होने की सम्भावना अधिक होती है।
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (यौन संचारित रोगों) या एस. टी. आई. – एस. टी. आई के मरीजों, में इसकी सम्भावना अधिक होती है।
मूत्र रोग – अन्य कारण (Other causes)
- फंगल इन्फेक्शन (फफूंद संक्रमण)
- केमिकल प्वाईजनिंग (रासायनिक विषाक्तता)
- वायरल इन्फेक्शन (वायरल संक्रमण)
- एनारोबिक बैक्टीरियल इन्फेक्शन (अवायवीय जीवाणु संक्रमण)
- गुर्दे की पथरी
- मर्दों में प्रोस्टेट ग्रंथि में इन्फेक्शन
- मूत्रनली में टी.बी.
- मूत्रान्गों या प्रजननान्गों में कैंसर
बढ़ती उम्र या प्रेगनेंसी की वजह से भी मूत्र में पस सेल्स आने लगती हैं।
यूरिन इन्फेक्शन का इलाज – घरेलू उपचार (Home remedies for pus cells in urine)
पानी और अन्य पेय पदार्थ – हम जितना अधिक पेय लेते है, पेशाब उतना ही ज्यादा बनता है और शरीर से टोक्सिन और बैक्टीरिया बाहर निकलते जाते हैं। पानी के अलावा हमें फलों के जूस, सब्जियों के जूस, तरबूज, ककड़ी, नारियल पानी आदि लेते रहना चाहिये।
बेकिंग सोड़ा – बेकिंग सोड़ा बॉडी में अम्ल और क्षार का बैलेंस बनाये रखने में सहायक होता है। एक ग्लास पानी के साथ आधा चम्मच सोड़ा, दिन में दो बार लेने से शुरूआती दौर के इन्फेक्शन को ठीक किया जा सकता है।
करौंदे का जूस – यह जूस यू.टी.आई. के रोगियों को इन्फेक्शन रोकने के लिए दिया जाता है । इसमें मिलने वाले तत्व बैक्टीरियल इन्फेक्शन और पस सेल्स से बचाते है।
विटामिन C – इन्फेक्शन से लड़ने वाले सुरक्षाचक्र के लिए विटामिन C एक अत्यावश्यक कॉम्पोनेन्ट है। खट्टे फलों जैसे संतरा, आवंला, केला, अमरुद पाइनएप्पल आदि फलों एवं सब्जियों का सेवन अवश्य करें।
बेल – आयुर्वेद में बेल का प्रयोग कई तरह की बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता है। बेल में साइट्रिक, मैलिक और टेंनिक एसिड कई सारे विटामिन्स और मिनरल्स के साथ अच्छी मात्रा में पाया जाता है यह बॉडी को वायरल इन्फेक्शन से बचाने में मदद करता है। मूत्र सम्बंधित परेशानियों के लिए दूध और शक्कर के साथ बेल का गूदा अत्यंत लाभदायक होता है।
मूत्र विकार – ककड़ी – ककड़ी के जूस में 95% पानी और पोषक तत्व पाए जाते है जो बॉडी से टोक्सिन और पस सेल्स को बाहर निकलने में सहायक होते हैं।
धनियाँ – धनियाँ के बीज सिर्फ एक मसाला न होकर बहुत अच्छी औषधि भी है जिसमे अच्छी मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। सालों से इनका प्रयोग आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा पद्धतियों में गुर्दे सम्बंधित बीमारियों को ठीक करने में होता आया है।
प्याज – अपने कई गुणों के साथ प्याज भी अत्यधिक लाभदायक होती है और बॉडी टोक्सिन को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करती है।
मूत्र विकार – तुलसी – अपने आयुर्वेदिक गुणों के लिए मशहूर तुलसी एक अतिलाभकारी औषधि है इसका उपयोग गुर्दे की पथरी को ठीक करने में किया जाता है।
दही – दही में बहुत सारे अच्छे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो हानिकारक बैक्टीरियाज को नष्ट करते हैं और शरीर से पस सेल्स को बाहर निकालते हैं।
लहसुन – लहसुन को प्राचीन काल से एक प्राक्रतिक एंटीबायोटिक के रूप में जाना जाता है जो शरीर के रोगप्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाता है।
मूत्र में पस कोशिकाओं के घरेलू नुस्खे (Home remedies for pus cells in urine)
युवा उर्सी (Uvaursi)
इसका भारतीय नाम युवा उर्सी है और इसे बेयरबेरी (bearberry) के नाम से भी जाना जाता है। यह घरेलू नुस्खा काफी प्रभावी है और इसकी मदद से पायेलोनेफ्राइटीस, युरेथ्राइटीस, सिस्टाइटीस (pyelonephritis, urethritis, cystitis) आदि समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह हमारे मूत्र के संक्रमण के विषैलेपन को दूर करने में भी सहायता करता है। यह आपकी मूत्र निकासी की प्रक्रिया को बेहतर और सुचारू रूप से चलाने का काम करता है। इसके लिए एक कप पानी को उबालें और इसमें एक चम्मच सूखी हुई युवा उर्सी की पत्तियाँ डालें। इसे 15 मिनट तक इसी तरह डुबोकर रखें। इस पानी का सेवन रोजाना करके मूत्र में पस की कोशिकाओं को कम करें। इस समस्या से पीड़ित पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए यह नुस्खा काफी उपयोगी साबित होता है।
जलकुम्भी (Water cress)
यह एक और प्रभावी घरेलू नुस्खा है जो आपको पस की कोशिकाओं के संक्रमण से दूर रखता है। क्योंकि इस उत्पाद में विटामिन डी, ए और सी (vitamin D, A and C) के साथ फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और कैल्शियम (phosphorous, magnesium and calcium) भी मौजूद होते हैं। यह आपके लिए काफी स्वास्थ्यकर साबित होता है। इसके लिए एक कप पानी उबाल लें और इसमें जलकुम्भी की 2 पत्तियों को डुबो दें। अब ओवन (oven) को बंद कर दें तथा पात्र को ढक लें। इसे 10 मिनट तक इसी तरह डुबोये रखें। समय समाप्त होने के बाद पानी को छानकर इसका सेवन कर लें।
खीरे का रस (Cucumber juice)
खीरे में बेहतरीन गुण होते हैं जो मूत्र में मौजूद पस की कोशिकाओं की समस्याओं का उपचार करते हैं। यह एक प्राकृतिक फल है जिसमें पोटैशियम, सिलिका, मैग्नीशियम, सोडियम और कई विटामिन्स (potassium, silica, magnesium, sodium and various vitamins) पाए जाते हैं। यह आपके मूत्र में मौजूद एसिड (acid) को निष्प्रभाव कर देता है। एक ब्लेंडर (blender) की मदद से खीरे का रस निकालें। अब इसमें आधा चम्मच नींबू और शहद का मिश्रण करें। इस मिश्रण का सेवन दिन में 3 बार करें और इस तरह के मूत्र के संक्रमण से कोसों दूर रहें। यह औषधि तथा अन्य दवाइयों से कई गुना असरदार होता है। इससे आपको प्राकृतिक रूप से पस की कोशिकाओं की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
0 comments:
Post a Comment