ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारी आँखों का ऑप्टिक नर्व ( Optic Nerve ) खराब या डेमेज हो जाता है। यह बिमारी समय के साथ-साथ और भी बद्तर होती चली जाती है। ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया या कांच बिंदु भी कहा जाता है।
हमारी आँखों के भीतर एक तरल पदार्थ होता है। आंखों का यही तरल जो आंखों के अंदर बनता रहता है और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बाहर निकलता है। यदि किसी भी वजह से आंखों से निकलने वाले इस तरल में परेशानी पैदा हो जाती है, तो आंखों में दबाव बढ जाता है। इस दबाव को इंट्राऑक्युलर प्रैशर कहा जाता है।
इसके अलावा, आंखों में कुछ ऑप्टिक नर्व भी होती हैं, जो किसी वस्तु के बारे में दिमाग तक संकेत भेजती हैं। लेकिन अगर, दबाव के कारण ये ऑप्टिक नर्व खराब हो जाती हैं, तो इसका सीधा असर आँखों की रौशनी पर पड़ता है। अगर इसके शुरूआती लक्षणों का पता न चले तो आदमी अंधा भी हो सकता है।
शुरुआत में इसके लक्षण नज़र नहीं आते। यहाँ तक कि आपको दर्द का भी एहसास नहीं होता। इसलिए इसमें यह बहुत आवश्यक है कि आप रेगुलर डॉक्टर से चेकउप कराते रहें। ताकि इसका जल्द ही पता चल जाये और समय से आपका उपचार भी किया जा सकें।
ग्लूकोमा के जोखिम कारक
- यदि आपकी उम्र 40 से ज्यादा है।
- आपके परिवार में से किसी को पहले भी ग्लूकोमा हुआ हो।
- आँखों और मस्तिष्क पर बढ़ता दबाव।
- डायबिटीज के कारण।
- बढ़ते-घटते ब्लडप्रेशर के कारण।
- ऐसे लोग जो स्टेरॉयड्स का प्रयोग करते है, उनमे भी ग्लूकोमा होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
हालाँकि ऐसा जरुरी नहीं है कि ब्लड प्रैशर और डायबिटीज की समस्या के कारण ग्लूकोमा हो ही जाए, लेकिन इस तरह के लोगों में इसके बढ़ने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती हैं।
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