सर्दी के मौसम में जुकाम खांसी और बुखार होने जीवन की सच्चाई व आम बात है लेकिन जीवन में अगर स्मार्ट कदम उठाए जाएँ तो सर्दी के दिनों में इन बीमारियों को कमी जरुर की जा सकती है। निश्चित ही बच्चे सारा दिन कीटाणुओं और विषाणुओं के सम्पर्क में रहते है और इसी वजह से सर्दी का मौसम आते ही वह दुर्भाग्य से जुकाम खांसी जैसी बीमारियों का शिकार हो जाते है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकतर बच्चो को जुकाम खांसी और बुखार की समस्या का सामना मौसम बदलने से कम संक्रमण से अधिक होता है लेकिन अगर आप अपने बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ावा दें तो ऐसी संक्रमण वाली बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से स्वस्थ आदतों को अपनाना पड़ेगा वह हम नीचे दे रहे है।

बच्चे के सामने अधिक फल और सब्जियों को परोसें : गाजर, हरी बीन्स, संतरे, स्ट्रॉबेरी ये सभी विटामिन सी और कैरोटीन युक्त होते है और इनमे आपके बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाने वाला पिटोनुट्रिएंट्स भी होता है। एक अधयन्न के अनुसार पिटोनुट्रिएंट्स कैंसर और हृदय रोग जैसे पुराने रोगों के खिलाफ हमारी रक्षा कर सकते हैं। एक दिन में बच्चो को पांच बार में फलों और सब्जियों को उनकी भूख अनुसार खिलाने का प्रयास करते है तो बच्चे की इम्युनिटी को संक्रमण से लड़ने के लिए मजबूत बना सकते है।

बच्चे को स्तन फ़ीड कराएं : मां के दूध में इम्युनिटी को चार्ज कर उनके मजबूत बनाने के सारे गुण मौजूद होते है। माँ का दूध बच्चो को कान में संक्रमण, एलर्जी, दस्त, निमोनिया, दिमागी बुखार, मूत्र-मार्ग में संक्रमण और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूत बनाता है। इनके अलावा कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि बच्चे के मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने और इंसुलिन निर्भर मधुमेह ,कोलाइटिस और कैंसर से रक्षा में मदद मिलती है। बच्चे को जन्म लेने के साथ-साथ ही स्तनों से बहने वाले गाढे पतले पीले दूध को कम से कम 2-3 महीने तक स्तन फ़ीड जरुर कराएं।

बच्चे के साथ व्यायाम करें : आजीवन फिटनेस आदत में अपने बच्चों को देने के लिए जरूरी है कि परिवार की बड़े सदस्य उनके रोल मॉडल बनें। कई शोधो से यह बात साबित हो चुकी है कि नियमित व्यायाम से कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और इसके फायदा बच्चों को स्वस्थ रखने में मिलेगा। समस्त परिवार चाहे तो बाइक की सवारी, लंबी पैदल यात्रा, लाइन स्केटिंग, बास्केटबॉल और टेनिस आदि खेल को शामिल करके भी कसरत का लाभ ले सकते है।

बच्चे के सोने के समय में इजाफा करें : नींद पूर्ण न होने पर इम्युनिटी तो कमजोर होती ही साथ में आपका बच्चा बीमारी का अधिक शिकार होने लगता है और कई बार तो रोगाणु कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर बड़ी बीमारियों को निमंत्रण देते है जिससे स्वास्थ्य मुश्किलें बढ़ जाती है।
नवजात बच्चों को एक दिन में 18 घंटे की नींद तो वही छोटे बच्चों को 12 से 13 घंटे की नींद की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा उभरते युवा बच्चे रोजाना 10 घंटे की नींद लेते है तो उनके इम्युन सिस्टम मजबूत है और नियमित रूप से अगर नींद पूरी होती रहें तो समय के इम्युनिटी मजबूत हो जाती है। छोटे बच्चे अगर दिन में नही सोते है तो उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए शाम को जल्दी बिस्तर पर सुला दें।

रोगाणु ख़त्म रणनीति पर जोर दें : अपने बच्चे को जुकाम खांसी और बुखार जैसी संक्रमण जैसी बीमारियों से बचाने के लिए संक्रमण वाले जीवाणु से हमेशा बचा कर रखें और इसके लिए आपको बड़ी बातों के साथ-साथ छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित, टूथब्रश आदि के साथ-साथ बच्चों के तौलिया रुमाल और खिलौनों की सफाई हमेशा समय-समय पर करते रहें।
आप बच्चों को कीटाणुओं से बचाने के लिए बचपन से ही हाथ धोने के बाद ही हाथों को होठों के पास लाने और कुछ खाने का ज्ञान दें। इसके अतिरिक्त नाक बहने पर सही तरीके से रुमाल का इस्तेमाल,पालतू जानवर हैंडलिंग, बाहर खेलते समय बाथरूम का उपयोग ,स्कूल और खेल के मैदान से घर पहुंचने के बाद उनकी स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान दें।

सेकेंड हैंड धुएं से बचाएं : आपके घर में कोई सदस्य धूम्रपान करता है तो बच्चों की सेहत का ध्यान रखते हुए उसे छोड़ दें। सिगरेट के धुआं शरीर में कोशिकाओं को मार सकते हैं। इसके अलावा सिगरेट बीड़ी में कई अधिक विषाक्त पदार्थों शामिल होते है जो अतिसंवेदनशील बच्चों के रोग नियंत्रण शक्ति को प्रभावित कर इम्युनिटी को कमजोर करते है। जब धूम्रपान करने वाला व्यक्ति धुआं छोड़ता है तो बच्चें जो तेज दर से साँस लेते है उनको अस्थमा कान में संक्रमण तंत्रिका संबंधी परेशानी से जूझना पड़ सकता है।

डॉक्टर पर दबाव मत बनाएं : कई माता-पिता बच्चों को लेकर अधिक सवेंदनशील होते है। बच्चे को सर्दी, फ्लू या गले में हल्की खराश होने पर चिकित्सक को आग्रह करते हुए एक एंटीबायोटिक देने को कहते है। अधिकतर एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारियों का इलाज करते है जबकि बचपन में अधिकतर बिमारियां वायरस के कारण होती है। इनके आलावा डॉक्टर को अपनी मनपसंद दावा देने और बिना डॉक्टरी सलाह के दवा देने की कोशिश हरगिज ना करें।
उपर दिए गये सुझाव का पालन करते हुए बच्चों के साथ-साथ कुछ हद तक बड़ों की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है और कई सक्रमण तथा मौसम परिवर्तन वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकतर बच्चो को जुकाम खांसी और बुखार की समस्या का सामना मौसम बदलने से कम संक्रमण से अधिक होता है लेकिन अगर आप अपने बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ावा दें तो ऐसी संक्रमण वाली बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से स्वस्थ आदतों को अपनाना पड़ेगा वह हम नीचे दे रहे है।
बच्चे के सामने अधिक फल और सब्जियों को परोसें : गाजर, हरी बीन्स, संतरे, स्ट्रॉबेरी ये सभी विटामिन सी और कैरोटीन युक्त होते है और इनमे आपके बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाने वाला पिटोनुट्रिएंट्स भी होता है। एक अधयन्न के अनुसार पिटोनुट्रिएंट्स कैंसर और हृदय रोग जैसे पुराने रोगों के खिलाफ हमारी रक्षा कर सकते हैं। एक दिन में बच्चो को पांच बार में फलों और सब्जियों को उनकी भूख अनुसार खिलाने का प्रयास करते है तो बच्चे की इम्युनिटी को संक्रमण से लड़ने के लिए मजबूत बना सकते है।
बच्चे को स्तन फ़ीड कराएं : मां के दूध में इम्युनिटी को चार्ज कर उनके मजबूत बनाने के सारे गुण मौजूद होते है। माँ का दूध बच्चो को कान में संक्रमण, एलर्जी, दस्त, निमोनिया, दिमागी बुखार, मूत्र-मार्ग में संक्रमण और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूत बनाता है। इनके अलावा कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि बच्चे के मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने और इंसुलिन निर्भर मधुमेह ,कोलाइटिस और कैंसर से रक्षा में मदद मिलती है। बच्चे को जन्म लेने के साथ-साथ ही स्तनों से बहने वाले गाढे पतले पीले दूध को कम से कम 2-3 महीने तक स्तन फ़ीड जरुर कराएं।
बच्चे के साथ व्यायाम करें : आजीवन फिटनेस आदत में अपने बच्चों को देने के लिए जरूरी है कि परिवार की बड़े सदस्य उनके रोल मॉडल बनें। कई शोधो से यह बात साबित हो चुकी है कि नियमित व्यायाम से कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और इसके फायदा बच्चों को स्वस्थ रखने में मिलेगा। समस्त परिवार चाहे तो बाइक की सवारी, लंबी पैदल यात्रा, लाइन स्केटिंग, बास्केटबॉल और टेनिस आदि खेल को शामिल करके भी कसरत का लाभ ले सकते है।
बच्चे के सोने के समय में इजाफा करें : नींद पूर्ण न होने पर इम्युनिटी तो कमजोर होती ही साथ में आपका बच्चा बीमारी का अधिक शिकार होने लगता है और कई बार तो रोगाणु कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर बड़ी बीमारियों को निमंत्रण देते है जिससे स्वास्थ्य मुश्किलें बढ़ जाती है।
नवजात बच्चों को एक दिन में 18 घंटे की नींद तो वही छोटे बच्चों को 12 से 13 घंटे की नींद की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा उभरते युवा बच्चे रोजाना 10 घंटे की नींद लेते है तो उनके इम्युन सिस्टम मजबूत है और नियमित रूप से अगर नींद पूरी होती रहें तो समय के इम्युनिटी मजबूत हो जाती है। छोटे बच्चे अगर दिन में नही सोते है तो उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए शाम को जल्दी बिस्तर पर सुला दें।
रोगाणु ख़त्म रणनीति पर जोर दें : अपने बच्चे को जुकाम खांसी और बुखार जैसी संक्रमण जैसी बीमारियों से बचाने के लिए संक्रमण वाले जीवाणु से हमेशा बचा कर रखें और इसके लिए आपको बड़ी बातों के साथ-साथ छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित, टूथब्रश आदि के साथ-साथ बच्चों के तौलिया रुमाल और खिलौनों की सफाई हमेशा समय-समय पर करते रहें।
आप बच्चों को कीटाणुओं से बचाने के लिए बचपन से ही हाथ धोने के बाद ही हाथों को होठों के पास लाने और कुछ खाने का ज्ञान दें। इसके अतिरिक्त नाक बहने पर सही तरीके से रुमाल का इस्तेमाल,पालतू जानवर हैंडलिंग, बाहर खेलते समय बाथरूम का उपयोग ,स्कूल और खेल के मैदान से घर पहुंचने के बाद उनकी स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान दें।
सेकेंड हैंड धुएं से बचाएं : आपके घर में कोई सदस्य धूम्रपान करता है तो बच्चों की सेहत का ध्यान रखते हुए उसे छोड़ दें। सिगरेट के धुआं शरीर में कोशिकाओं को मार सकते हैं। इसके अलावा सिगरेट बीड़ी में कई अधिक विषाक्त पदार्थों शामिल होते है जो अतिसंवेदनशील बच्चों के रोग नियंत्रण शक्ति को प्रभावित कर इम्युनिटी को कमजोर करते है। जब धूम्रपान करने वाला व्यक्ति धुआं छोड़ता है तो बच्चें जो तेज दर से साँस लेते है उनको अस्थमा कान में संक्रमण तंत्रिका संबंधी परेशानी से जूझना पड़ सकता है।
डॉक्टर पर दबाव मत बनाएं : कई माता-पिता बच्चों को लेकर अधिक सवेंदनशील होते है। बच्चे को सर्दी, फ्लू या गले में हल्की खराश होने पर चिकित्सक को आग्रह करते हुए एक एंटीबायोटिक देने को कहते है। अधिकतर एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारियों का इलाज करते है जबकि बचपन में अधिकतर बिमारियां वायरस के कारण होती है। इनके आलावा डॉक्टर को अपनी मनपसंद दावा देने और बिना डॉक्टरी सलाह के दवा देने की कोशिश हरगिज ना करें।
उपर दिए गये सुझाव का पालन करते हुए बच्चों के साथ-साथ कुछ हद तक बड़ों की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है और कई सक्रमण तथा मौसम परिवर्तन वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
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