नवजात शिशु के आगमन के साथ ही माता पिता उनसे जुड़ी हर चीज़ के बारे में काफी चिंता करने लगते हैं। स्वास्थ्यकर भोजन और आराम के अलावा एक और महत्वपूर्ण कारक के बारे में भी चिंता करनी काफी ज़रूरी है। जी हाँ, बच्चे को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से प्रभावित ना होने देने के लिए टीकाकरण भी काफी आवश्यक होता है। आपके पास शिशु रोग विशेषज्ञ की दी हुई तालिका अवश्य होनी चाहिए जिसमें यह लिखा होता है कि बच्चे को उसके उम्र के किस पड़ाव पर कौन सा टीका देना है। इस लेख में टीकाकरण की समय सारणी के बारे में बताया गया है। टीकाकरण की खुराक हर देश में अलग अलग हो सकती है।
बच्चे बड़े हो जाने तक माता-पिता को उसका पूरा ध्यान रखना होता है। बढ़ता हुआ प्रदूषण, कीटाणु युक्त भोजन बच्चे को बीमार बना सकते हैं इसलिये जन्म से ही बच्चे का टीकाकरण करवाना हर माता पिता का कर्तव्य है। 4 से 6 साल के बीच में बच्चे को पोलियो, डी.टी.पी, चिकन पॉक्स और एम एम आर के टीके लगाये जाते हैं, ये टीके बच्चे के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मज़बूत बनाने और जीवाणु तथा विषाणुओं से लड़ने के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
टीकाकरण का महत्व – टीकाकरण की तैयारी (Time to prepare for vaccination)
आपको और आपके बच्चे को टीकाकरण (bacchon me tikakaran) के समय तैयार रहना चाहिये। 3 से 6 साल के बीच बच्चा इस स्थिति में आ चुका होता है जहाँ पहले से ही उसे कई टीके लगाये जा चुके होते हैं। कोई भी माता पिता अपने बच्चे को दर्द में नहीं देख सकते इसलिये यह ज़रूरी होता है कि आपका बच्चा भी उस बात को समझे और टीकाकरण के लिए खुद ही तैयार हो जाए। टीकाकरण करवाने से पहले आप अपने शिशु विशेषज्ञ से संपर्क करें और इसकी विधिवत जानकारी हासिल करें साथ ही अपनी बच्चे को तब तक उचित तरीके से समझाएं जब तक वह सहमत न हो जाए।
जब भी आपके बच्चे को टीका लगाया जाए इसकी पूरी जानकारी लें और बेहतर हो कि आप पहले से ही टीकाकरण और इसके समय के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर लें। अपने नज़दीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर भी अपने बच्चे की टीकाकरण और तारीखों के बारे में जान सकते हैं।
अपने बच्चे को टीकाकरण के लिए कैसे तैयार करें (How to prepare your baby for vaccination)
टीका या सुई के नाम से ही बच्चे डर जाते हैं ऐसे में उनके दिमाग से यह डर निकालना बहुत ज़रूरी होता है। नीचे कुछ टिप्स दिये जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप बच्चे को समझा सकते हैं –
- टीकाकरण के समय बच्चे को उसका पसंदीदा खिलौना देकर उसे उलझाये रखें।
- शिशु का टीकाकरण, उसे पहले ही इस बात की जानकारी दे दें कि उसे थोड़ा बहुत दर्द हो सकता है लेकिन यह उसके लिए अत्यन्त आवश्यक है।
- टीकाकरण के दौरान आप बच्चे को बातों में भी उलझा सकते हैं।
- अगर आपका बच्चा कहानी की किताब या कॉमिक्स पढना पसंद करता है तो उसे उपलब्ध करा दें।
- बच्चों में टीकाकरण, आप उसे समझा सकते हैं कि थोड़े से दर्द के बाद यह ठीक हो जाएगा।
- बच्चों में टीकाकरण, टीकाकरण के स्थान पर अल्कोहल पैड का प्रयोग भी किया जा सकता है।
टीकाकरण का चार्ट और समय (Chart on vaccination and time)
हर उम्र के बच्चों को एक जैसे टीके नहीं लगाये जाते, अलग अलग उम्र में टीकाकरण भी समय के हिसाब से अलग होता है और जिसके लिए एक टीकाकरण का चार्ट, टीकाकरण सूची उपलब्ध कराया जाता है। इस चार्ट को आप अपने चाइल्ड स्पेशलिस्ट या स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं। एक बार चार्ट मिलने के बाद आप हमेशा इसे अपने पास रखें और बच्चे के पहले टीके से लेकर सभी टीको के लगने के दिन और समय को हमेशा याद रखें। आप भूल न जाएँ इसलिये बेहतर होगा कि इस चार्ट को अपने बेडरूम में दीवार पर टांग दें जिससे यह हमेशा आपकी नज़र के सामने रहेगा और आप बच्चे के टीकाकरण का पूरा ध्यान रख पायेंगे।
बच्चों को किस उम्र में किस टीकाकरण की ज़रुरत होती है? (What vaccination is needed at what age for children?)
हेपेटाइटिस बी 1 (Hepatitis B1)
जन्म के समय यह टीका आपके बच्चे के शरीर में डाला जाता है। आपको इस टीके के बारे में चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है क्योंकि नर्सिंग होम (nursing home) या अस्पताल के लोग ही इस टीके को लगाने का कार्य करते हैं। स्वास्थ्य कार्यालय में आपके नवजात बच्चे को लगाई जाने वाली टीके की यह पहली खुराक होती है। इस टीके की दूसरी खुराक दूसरे से तीसरे महीने में दी जानी चाहिए। इस टीके की तीसरी खुराक नौवें से बारहवें महीने के बीच देनी चाहिए।
रोटा वायरस 2 (Rotavirus 2 (RV)
यह भी तालिका में चिन्हित काफी महत्वपूर्ण टीका माना जाता है। इस टीके की पहली खुराक बच्चे को उसकी उम्र के दूसरे महीने में देनी चाहिए। दूसरी खुराक चौथे महीने में देनी ज़रूरी है। आमतौर पर इस बीमारी के लिए 2 खुराक देना पर्याप्त माना जाता है। पर यह टीका लगाना जन्म के बाद हर बच्चे के लिए अनिवार्य बन गया है। इस बात को सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को यह टीका सही समय पर लगे।
डिप्थीरिया, असेलुलर पर्त्युसिस और टिटनेस (Diphtheria, acellular pertussis and tetanus)
ये तीनों टीके हर बच्चे के लिए उनके जन्म के दो महीने बाद लगवाने काफी ज़रूरी होते हैं। इस टीके की पहली खुराक बच्चे को उसके जन्म के दूसरे महीने में लगाई जानी चाहिए। इसके बाद, उसे दो महीने का आराम करने का मौक़ा प्रदान करें। चौथे महीने के दौरान बच्चे को इस टीके की दूसरी खुराक दें। इसके बाद छठें महीने के दौरान तीसरी खुराक दें। आखिरी और काफी महत्वपूर्ण खुराक बच्चे के 15 महीने का हो जाने पर उसे दी जानी काफी ज़रूरी है। अगर इस तरह टीके देने की प्रक्रिया का अक्षरशः पालन किया गया तो आपका बच्चा इन सब बीमारियों से कोसों दूर रहेगा।
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