नाखूनों में विकृतियाँ काफी सामान्य हैं जिनमें दाग, सफ़ेद धब्बे , बेरंगापन, कमज़ोर तथा टूटे नाखूनों की समस्या मुख्य है। इससे कई तरह की समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। नाखूनों के दाग दो तरह के होते हैं -आड़े तथा ऊपर से नीचे।
ऊपर से नीचे या वर्टीकल (vertical) रेखाएं – ये छोटी रेखाएं होती हैं जो नाखूनों पर ऊपर से नीचे खिंची होती हैं। ये काफी सामान्य दाग होते हैं और इनके होने का मुख्य कारण, शारीरिक बीमारी जो कि अन्दर से आपको प्रभावित कर रही हो और उम्र का बढ़ना होता है। ये तब ज़्यादा दिखने लगते हैं जब लोगों की उम्र बढ़ने लगती है। जब कमज़ोर नाखूनों को इन ऊपर से नीचे जा रही रेखाओं से जोड़कर देखा जाने लगे तो इसे ओनीकोरेक्सिस (Onychorrhexis) कहा जाता है।
आड़ी रेखाएं – ये और कुछ नहीं बल्कि नाखूनों पर हुए गड्ढे हैं, जिसके अंतर्गत रेखाएं नहीं होती बल्कि यह एक तरह की चिकित्सकीय समस्या जैसे दिल के दौरे, मधुमेह, संक्रमण और मेटाबोलिक (metabolic) समस्याओं की ओर इशारा करती है।
नाखूनों के नीचे से ऊपर तक आने वाली समानांतर रेखाओं को नाखूनों के दाग या नेल रिज कहते हैं। कभी कभी ये दाग नीचे से ऊपर न आकर नाखूनों के एक तरफ से दूसरी तरफ हॉरिज़ोंटली(आड़े मे) आ जाते हैं।ये दाग किसी बीमारी की ओर इशारा नहीं करते। नीचे से ऊपर की ओर आने वाले दागों का मुख्य कारण नाखूनों में नमी की कमी या उम्र का बढ़ना हो सकते हैं।
प्रकार (Types)
नाखूनों पर वर्टीकल रेखाएं (Vertical ridges on fingernails)
नाखूनों पर छोटी ऊपर से नीचे की ओर जाने वाली रेखाएं काफी सामान्य होती हैं और उम्र के साथ दिखती हैं। शोधों से साबित हुआ है कि इन रेखाओं के कई कारण होते हैं और उम्र का बढ़ना इनमें से एक होता है। जैसे जैसे लोगों की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे वैसे उनके नाखूनों के स्वरुप में काफी विकृतियाँ आती रहती है, जिससे कि ये सीधी रेखाएं पैदा होती हैं।
सारा नाखून सीधी रेखाओं से भरा होता है जो कि बराबर अंतराल लिए हुए होती हैं और बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होती। यह समस्या बढ़ती उम्र के साथ नाखूनों के नमी को सोखकर रखने में विफलता की वजह से सामने आती है।
विटामिन (vitamin) की कमी और पोषक तत्वों के अभाव की वजह से ये रेखाएं पैदा होती हैं। किसी प्रकार की चोट या कोई शारीरिक समस्या जैसे रह्यूमेटॉइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) भी इसका मुख्य कारण हो सकती है। नाखूनों पर फार्मेशन वन (Formation one) सीधी रेखाओं का होना ट्यूमर (tumor) का प्रतीक है यह ट्यूमर नाखूनों की जड़ों पर बढ़ता रहता है अतः इससे चिंतित होना स्वाभाविक है।
लाइकेन प्लानस (lichen planus), जिससे त्वचा पर दाग धब्बे पैदा होते हैं, नाखूनों पर रेखाएं बना सकते हैं। इस तरह की रेखाएं काफी आम तौर पर देखी जाती हैं एवं काफी जल्दी और कम समय के लिए पैदा भी होती हैं।
इन दागों की वजह से नाखून काफी खराब स्थिति में आ जाते हैं और इसीलिए इस स्थिति से कोई गुजरना नहीं चाहता। ज़्यादातर लोग इस समस्या को नज़रंदाज़ कर देते हैं, पर यह सही नहीं है क्योंकि यह नाखूनों की सबसे पतली परत होती है। नाखूनों का इस तरह से टूटना आपको काफी पीड़ा एवं दर्द पहुंचाता है एवं आप अपना नाखून गँवा भी सकते हैं।
नाखूनों की आड़ी रेखाएं (Horizontal ridges in fingernails)
ये रेखाएं आपके शरीर में पनप रही किसी गंभीर बीमारी का संकेत होती हैं। सिर्फ एक आड़ी रेखा का मतलब आपके शरीर की प्रतिरोधी प्रणाली इस रोग से लड़ रही है। पर अगर यह रेखाएं बार बार आ रही हैं, तो यह किसी गंभीर समस्या जैसे गुर्दों और फेफड़ों की बीमारी का संकेत है और इसका तुरंत इलाज किया जाना आवश्यक है।
ब्यूस लाइन (Beau’s line) एक समस्या है जिसके लक्षणों में नाखूनों के ऊपर गड्ढे होते हैं। इसके मुख्य कारण अनियंत्रित मधुमेह, काफी तेज़ बुखार जैसे निमोनिया, मीज़ल्स, पेरिफेरल वैस्कुलर बीमारियाँ, स्कारलेट फेवर, मम्प्स और जिंक की कमी (pneumonia, measles, peripheral vascular diseases, scarlet fever, mumps and lack of zinc) है।
वर्टीकल या नीचे से ऊपर के दाग के कारण (Vertical nails causes – nakhun ke rog)
- नाखून के रोग, इन दागों का प्रमुख कारण उम्र का बढ़ना होता है।
- एक और कारण जो कि इन समस्या की वजह बनता है वो है धीमी पाचन शक्ति।
- नाखूनों में नमी की कमी (nakhun ka ilaj) होना भी दाग होने का कारण हो सकता है।
- कुछ प्रमुख पोषक पदार्थों की कमी की वजह से भी ये दाग हो सकते हैं।
- नाखूनों के बढ़ने में मुख्य भूमिका निभाने वाले खनिज पदार्थों की कमी भी नाखूनों के दाग की वजह बन सकती है।
बी विटामिन्स (B vitamins)
क्योंकि ये शरीर में कोशिकाओं की वृद्धि में मदद करते हैं, अतः ये शरीर के काफी महत्वपूर्ण कारक समझे जाते हैं। विटामिन बी 12 (Vitamin B-12) नाखूनों की बढ़त और मजबूती बढ़ाने में मदद करता है।
आयरन (iron)
आयरन की कमी से भी नाखूनों में रेखाएं पनप सकती हैं। इसे कोइलोनीकियास (Koilonychias) कहा जाता है।
विटामिन सी (Vitamin C)
यह त्वचा और नाखूनों पर पैदा हुए संक्रमण को ठीक करता है तथा होने से रोकता है। आप इसे फलों और सब्जियों से प्राप्त कर सकते हैं।
जिंक और कैल्शियम (calcium) भी काफी महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ हैं जो शरीर की कोशिकाओं की बढ़त में सहायक होते हैं और तंतुओं को विकसित होने में भी मदद करते हैं। इनकी कमी से भी नाखूनों की रेखाएं पनप सकती हैं।
उम्र बढ़ना (Aging)
मनुष्य के साथ उसके शरीर की कोशिकाएं भी बूढ़ी होती हैं। इससे यह बात पता चलती है कि बूढ़ी एवं थकी कोशिकाओं की ना ही बढ़त होती है और ना ही इन्हें बदला जा सकता है। नाखूनों में तेल का अभाव भी नाखूनों को प्रभावित कर सकता है।
अपर्याप्त नमी (Insufficient moisture)
त्वचा में नमी की मात्रा कम होने की वजह से भी नाखूनों, हाथ और क्यूटिकल (cuticle) रूखे हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण कठोर उत्पादों से हाथ धोना, श्रम करना और कठोर वातावरण होता है।
नमी की कमी की वजह से नाखूनों की रेखाओं के अलावा टूटे हुए कमज़ोर नाखूनों, बेरंग नाखून तथा टूटे क्यूटिकल के समस्या उत्पन्न होती है।
बीमारियाँ और समस्याएं (Diseases and conditions)
नाखूनों की समस्याएं नाखूनों की अंदरूनी परेशानियों जैसे नाखूनों पर सफ़ेद धब्बे, रेखाएं, फटना और कमज़ोर नाखून हैं। सोराइसिस (psoriasis) एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से यह समस्या पैदा होती है। नाखूनों की रेखाएं नाखूनों में फंगस (fungus) संक्रमण का प्रतीक भी होती हैं।
उपचार (Treatment)
ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से आप टूटे हुए नाखूनों का इलाज कर सकते हैं। आप खुद के उपचारों और प्राकृतिक पद्दतियों की मदद से भी इनका उपचार कर सकते हैं।
पोषक आहार (Nutritional diet)
संतुलित आहार (Balanced diet)
इसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स (carbohydrates) तथा खनिज आयरन शामिल होने चाहिए। मालन्यूट्रीशन तथा मालअब्सोर्प्शन से बचने के लिए पोषक पदार्थों से युक्त भोजन करें।
ओमेगा 3 फैटी एसिड्स (Omega 3 fatty acids)
इनमें एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) के गुण होते हैं जो आपके शरीर से फ्री रेडिकल्स (free radicals) को दूर करता है। मछलियाँ और नट्स (nuts) ओमेगा 3 फैटी एसिड्स का काफी अच्छा स्त्रोत होती हैं। इन्हें अपने खानपान में शामिल करने से आपके नाखून काफी स्वस्थ रहेंगे।
पानी (Water)
पानी इस बात को सुनिश्चित करता है कि हमारे शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में नमी प्राप्त हो। शरीर के अंगों की सही कार्यशीलता भी पानी के सेवन से बढ़ती है।
नाखूनों की देखभाल और साफ़ सफाई (Nail care and hygiene)
1.पैरों और हाथों के नाखूनों को टूटने या रेखाएं पड़ने से बचाएं। हाथ से कोई मेहनत का काम करते समय दस्ताने पहनें। कठोर रासायनिक तत्वों से दूरी बनाए रखने का प्रयास करें।
- नाखूनों की साफ सफाई बनाए रखें और अच्छे से काटकर सुखा लें। इससे नाखूनों का टूटना और नाखूनों पर फंगस के संक्रमण से बचाव प्राप्त होता है।
- हाथों और नाखूनों को खासकर धोने के बाद इन्हें रोजाना नमी प्रदान करें और मोइस्चराइज़र (moisturizer) का प्रयोग करें।
- नाखूनों की बफरिंग (buffering) के समय दबाव कम दें जिससे नाखून ढीले ना पड़ जाएं। ज़्यादा दबाव डालने से नाखून टूट सकते हैं।
बचाव उपाय (Remedies)
नारियल तेल (Coconut oil)
पैरों और हाथों के नाखूनों के फंगस को नारियल के तेल से दूर किया जा सकता है, क्योंकि इसमें एंटी फंगल (antifungal) गुण होते हैं। यह आपके नाखूनों पर नमी के खिलाफ सुरक्षा कवच बनाता है और फंगस को बढ़ने से रोकता है। इसे अपने प्रभावित नाखूनों, अंगूठों और उँगलियों पर दिन में कम से कम 3 बार लगाएं।
नींबू का रस (Lemon juice)
संक्रमण से जुडी समस्याओं का इलाज नींबू के द्वारा किया जा सकता है, क्योंकि इसमें एंटी फंगल तथा एंटी बैक्टीरियल (antibacterial ) गुण मौजूद होते हैं। नींबू के रस को थोड़े से आयोडीन (iodine) के साथ मिश्रित करें तथा फंगल संक्रमण से निपटने के लिए नाखूनों पर इसका प्रयोग तीन बार करें।
लहसुन (Garlic)
नाखूनों के टूटने का इलाज लहसुन के द्वारा भी किया जा सकता है, क्योंकि इसमें एंटी फंगल गुण होते हैं। ताज़े लहसुन के फाहे को मसल लें और इसे सीधे अपने प्रभावित नाखूनों के भाग पर लगाएं। आप जैतून या नारियल के तेल का भी इसमें मिश्रण कर सकते हैं।
दही (Yogurt)
दही में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (Lactobacillus acidophilus) होता है, अतः इसकी मदद से भी नाखूनों का फंगस ठीक किया जा सकता है। इसे नाखूनों पर लगाएं और धोने से पहले 15 मिनट तक छोड़ दें। इसके बाद इसे सुखा लें। अच्छे परिणामों के लिए इसका प्रयोग दिन में दो या तीन बार करें।
लैवेंडर का तेल (Lavender oil)
इसमें मौजूद एंटी फंगल गुणों की वजह से यह नाखूनों के फंगल संक्रमण को ठीक करने में काफी कारगर साबित होता है। यह तेल आपके नाखोनों को नमी के खिलाफ बचाता है और फंगस को और भी बढ़ने से रोकता है।
टी ट्री ऑइल (Tea tree oil)
इसे प्रभावित भाग पर लगाएं। इसमें मौजूद एंटी फंगल गुणों की वजह से यह फंगस के क्रियाकलापों को रोकने में मदद करता है।
हॉरिजॉन्टल या एक से दूसरी तरफ जाने वाले दाग के कारण (Horizontal nails ridge causes)
- रक्तहीनता या अनीमिया से ग्रसित व्यक्ति इन समस्या का शिकार हो सकता है।
- विटामिन ए की शरीर में कमी भी इन समस्या का कारण बन सकती है।
- शरीर में पानी की कमी हो जाने से भी ये दाग उभरकर नाखूनों पर आते हैं।
दाग दूर करने के घरेलू नुस्खे (Home remedies for ridges in finger nails)
मॉइस्चराइसिंग (Moisturizing)
नाखून पर सफेद दाग, ज़्यादातर समय नाखूनों में नमी की कमी होने की वजह से दाग हो जाते हैं। आप सौन्दर्यवर्धक तेल और अन्य नमी देने वाले उत्पादों का प्रयोग करके अपने नाखूनों का रूखापन दूर करके इन दागों को ठीक कर सकते हैं।
खानपान (Diet)
नाखून की देखभाल, अपने नाखूनों से दाग हटाने के लिए आपका खानपान सही होना आवश्यक है। ओमेगा 3 फैटी एसिड से युक्त भोजन ग्रहण करें। आपको यह भी जानने की आवश्यकता है कि कहीं आपमें किसी विटामिन की कमी तो नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कुपोषण का शिकार होते हैं। आप आसानी से अपने भोजन में विटामिन युक्त पदार्थ शामिल करके अपने खानपान को पोषण युक्त बना सकते हैं।
मसाज (Massaging)
लोग आमतौरपर शरीर की मालिश करवाना काफी पसंद करते हैं। आपको सोने के पहले अपने नाखूनों की भी मसाज करनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से उत्पन्न जोजोबा का तेल तुरंत परिणाम देने में सक्षम है अगर आप इस तेल से अपने नाखूनों की मसाज करें। आप विटामिन इ तेल युक्त क्रीम और लोशन द्वारा भी ये दाग ठीक कर सकते हैं।
कई एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिक नयी नयी तकनीकों पर काम कर रहे हैं जो हॉरिजॉन्टल दागों की समस्या को काम कर दे या पूरी तरह हटा दे। नाखूनों की देखभाल, अगर आपको लगता है कि घरेलू उपचारों से आपके नाखूनों में कोई सुधर नहीं दिख रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इन हॉरिजॉन्टल रेखाओं को बीयू लाइन भी कहते हैं। ये मुख्य रूप से सिकुड़न या झुर्री भरे दिखते हैं। ये दाग विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं की बदौलत हो सकते हैं। पाचन क्रिया में गड़बड़ इन दागों के होने का एक प्रमुख कारण है। इस सम्बन्ध में ज़्यादा जानकारी के लिए किसी फिजिशियन से मिलें। शुरुआत में आप घरेलू उपचार ही शुरू कर सकते हैं और बाद में फायदा न होने पर डॉक्टर को दिखा लें।
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