किशोरावस्था के लिए तैयार होना किसी भी टीनएजर लड़की के लिए आसान नहीं होता है। मासिक धर्म और इससे जुड़ी समस्याएँ लड़की से महिला बनने की प्रक्रिया के दौरान काफी मुश्किलें पैदा करने वाली होती है। यह काल या समय युवतियों को आशंकित और उलझन भरा बना देता है जिसका असर लंबे समय तक उनके मानसिक व्यवहार और आचरण आदि में रह जाता है। इस समय यह बहुत ज़रूरी है कि, टीनएजर के इस संवेदनशील दौर में युवतियों को अपने माता पिता का सपोर्ट और प्रोत्साहन मिलता रहे। खासकर इस मुश्किल और चुनौती भरे समय में माँ का प्यार और उचित मार्गदर्शन उन्हें इस उलझन भरे समय में सहज महसूस करने में सहायक हो सकता है।
यह हर माँ के लिए ज़रूरी है कि अपनी बच्चियों के टीनएज के दौरान होने वाले मासिक धर्म के समय उनके मानसिक और शारीरिक बदलाओं और आचरण को समझने की कोशिश करते हुये उन्हें सही सपोर्ट करें और उचित मार्गदर्शन दें। आपकी टीनएज बेटी को मासिक धर्म या पीरियड्स से जुड़ी कई तरह की समस्याएँ हो सती हैं और यह भी हो सकता है कि वो आपसे खुल के बात न कर पा रही हो, उसकी परेशानी को समझते हुये और उसे सामान्य महसूस कराते हुये उसकी समस्या को जानने के साथ हल खोजने की भी कोशिश करें।
यह लेख टीनएज लड़कियों और उनके माता पिता को उनकी उम्र से संबन्धित समस्याओं की दिशा में जागरूक करने के लिए लिखा गया है। माहवारी से जुड़ी कई भ्रांतियों के साथ कई बातें ऐसी भी हैं जिसे आज के समय में भी कोई समस्या न मानकर एक सामान्य प्रक्रिया समझा जाता है, खासकर भारतीय समाज में आज भी लड़कियों के मासिक धर्म से जुड़ी चर्चा करना एक सामान्य बात नहीं है। युवतियों के साथ उनके माता पिता को यह समझना होगा कि, यह मासिक धर्म प्रत्येक स्वस्थ महिला के शरीर की एक ज़रूरी और सामान्य प्रक्रिया है, इस बात पर चर्चा करने के लिए किसी प्रकार की झिझक की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक माता पिता अपने बच्चों को एक स्वस्थ जीवन देना चाहते हैं और उसके लिए हर संभव कोशिश भी करते हैं, तो इस मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं पर बात करना भी उतना ही ज़रूरी है, हो सकता है की इस झिझक की वजह से आपकी टीनएजर बेटी भविष्य में होने वाली किसी बड़ी शारीरिक समस्या को दबाने जा रही हो जिसका पता तब चलेगा जब काफी देर हो चुकी होगी। ऐसी किसी भी समस्या से अपनी बच्चियों को बचाने के लिए पीरियड्स के दौरान होने वाली हर छोटी बड़ी परेशानियों को अपनी बच्ची से साझा करें।
प्रीमेन्सट्रुअल सिंड्रोम या पीएमएस (Premenstrual syndrome or PMS)
कई महिलाओं में मासिक धर्म के शुरू होने से पहले होने वाला दर्द मासिक चक्र के शुरू होने के पहले प्रत्येक माह होता है। किशोरियों में प्रीमेन्सट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण और परेशानियाँ उन महिलाओं से अलग हो सकता है जो नियमित सामान्य मासिक धर्म या पीरियड्स का सामना कर रही हैं। कई लड़कियों में पीरियड्स शुरू होने के 1 या 2 हफ्ते पहले से ही यह दर्द होने लगता है। ये सभी लक्षण शरीर में मौजूद होर्मोंस में बदलाव की वजह से दिखाई देते हैं। ये सभी लक्षण बदलते होर्मोंस के शरीर के साथ होते संतुलन के अनुसार कम या ज़्यादा होते रहते हैं और इन लक्षणों में बदलाव आता रहता है। पीएमएस का प्रभाव शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से पड़ता है जो व्यवहार और बदलते मूड द्वारा समय समय पर दिखाई भी देता है। पीएमएस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं,
- पेट के निचले हिस्से में मरोड़ या दर्द
- शरीर के किसी खास हिस्से में सूजन और कब्ज़
- मुँहासे
- भूख का बढ़ना
- कमर में दर्द
- अवसाद
- मूड में परिवर्तन
- चिंता
- एकाग्रता में कमी
पीएमएस के वास्तविक कारणों का तो पता नहीं लेकिन इसे शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव की वजह से उत्पन्न होने वाली ही एक समस्या माना गया है। इस्क अकोई उपचार भी नहीं है और डॉक्टर भी लक्षणों के अनुसार होने वाली बेचैनी को दूर करने के लिए दवा और सलाह देते हैं।
अगर किसी भी किशोरी या नवयुवती में यह लक्षण बहुत गंभीर दिखाई देते हैं या लंबे समय तक बने रहते हैं तो बिना देरी किए किसी डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए। इसके लिए किसी महिलारोग विशेषज्ञ का परामर्श लेना आवश्यक है और ज़रूरत पड़े तो कुछ खास टेस्ट आदि भी करा लेने चाहिए।
एबनॉर्मल यूटेरिन ब्लीडिंग (Abnormal uterine bleeding)
एबनॉर्मल यूटेरिन ब्लीडिंग या इसे छोटे रूप में AUB के नाम से जाना जाता है। इसमें मासिक धर्म के समय अत्यधिक मात्रा में प्रदर होता है जो कई बार सामान्य की अपेक्षा ज़्यादा दिनों तक चलता रहता है। इसके लिए हमारे शरीर में मौजूद दो तरह के हॉरमोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोजेन के असंतुलन को इसका मुख्य कारण बताया जाता है। यह असंतुलन मासिक धर्म चक्र में जल्दी या देरी के साथ अत्यधिक बहाव के लिए जिम्मेदार होता है।
जिन टीनएजर्स को इस समस्या का सामना करना पड़ता है वे इस दौरान अपने जीवन को सामान्य तरीके से जीने में काफी दिक्कत महसूस करती हैं, उन्हें हर 2 से 3 घंटों में पैड बदलने की ज़रूरत महसूस होती है जिसकी वजह से स्कूल या किसी भी सार्वजनिक अवसरों में शामिल होने से उन्हें झिझक होने लगती है।
अगर आपकी बच्ची के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है तो आप इस बात को समझने की कोशिश करें की यह समय वाकई उसके लिए बहुत कठिनाई भरा है जिसमें आपको उसका हर समय खास खयाल रखना पड़ता है। इससे निजात के लिए अपने चिकित्सक से सलाह लेकर कुछ सामान्य टेस्ट करवाएँ, इस लक्षणों के लिए थायराइड, अल्सर, यूटेरस की कोई समस्या या वेजाइनल इन्फेक्शन आदि भी हो सकते हैं।
एमेनोरीया (Amenorrhea)
मासिक धर्म का न आना या अचानक से बंद हो जाना इस बिमारी का एक लक्षण है। कई बार टीनएज लड़कियां अपने प्रथम मासिक धर्म को महसूस नहीं कर पाती और कभी कभी पहली बार मासिक धर्म शुरू होने के बाद यह नियमित नहीं हो पाते और यहाँ तक कि 15 वर्ष की उम्र तक भी उन्हें पीरियड्स नहीं आते। लेकिन इसके लिए घबराने की ज़रूरत नहीं है और इसका इलाज कुछ दवाओं के द्वारा आसानी से किया जा सकता है जो कि हॉरमोन के असंतुलन की वजह से ही होने वाला एक लक्षण है।
डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea)
डिसमेनोरिया या पीरियड्स के दौरान होने वाला तेज दर्द आजकल हर किशोरी की एक आम समस्या बन चुका है। यह दर्द कहीं भी शुरू हो सकता है जिसकी वजह से स्कूल न जाने तक की नौबत आ जाती है और कई बार नींद के दौरान शुरू होने वाला यह दर्द सोने भी नहीं देता। यह पीरियड्स शुरू होने के बाद 1 से 2 दिनों तक रह सकता है इसके लक्षण अलग अलग किशोरियों में भिन्न हो सकते हैं।
अनियमित मासिक धर्म (Irregular periods)
अपने शुरुआती समय में किशोरियों में मासिक धर्म का अनियमित होना एक सामान्य बात है। असंतुलित होर्मोंस की वजह से यह समस्या कई अन्य लक्षणों के साथ दिखाई दे सकती है। यहाँ तक कि बहुत सी लड़कियों में 2 से 3 साल तक भी पीरियड्स सामान्य नहीं होते। वयस्क होने के दौरान इस समय शरीर कई तरह के बदलावों से होकर गुजरता है जिसकी वजह से शरीर को सामान्य स्थिति में आने के लिए थोड़ा समय लगता है।अगर आपकी बच्ची को 3 महीने तक लगातार 24 दिन से भी कम समय के अंदर पीरियड्स आ रहे रहे टी इसके समाधान के लिए अपने डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें।
एंडोमिट्रीओसिस (Endometriosis)
एंडोमिट्रीओसिस पीरियड्स से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें दर्द के साथ अनियमित रक्त स्त्राव होता है। इसमें पेट के निचले हिस्से या तल पेट के साथ कमर के हिस्से में भी दर्द व अकड़न बनी रहती है। वैसे यह डीस्मेनोरिया के भी लक्षण हो सकते हैं। इसमें कुछ कोशिकाएँ गर्भाशय से बाहर निकल कर अंडाशय, गर्भाशय की दीवार और फ़ेलोपियन ट्यूब आदि कहीं भी उत्पन्न हो जाती है। यह कोई सामान्य समस्या नहीं है लेकिन इसका इलाज संभव है जो आजकल बहुत सी किशोरियों में दिखाई दे रहा है।
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